चार दिन की चांदनी रातों, के बाद अमावस्या आनी। चार दिन की चांदनी रातों, के बाद अमावस्या आनी।
तकरीरें बाकी थी तमाम, सर हिलाना, कबूल- ए- गुनाह हो गया। तकरीरें बाकी थी तमाम, सर हिलाना, कबूल- ए- गुनाह हो गया।
आशियाने को किसी के तफ़रीह में जला डाला। आशियाने को किसी के तफ़रीह में जला डाला।
इस शोर मचाती दुनिया के बीच अपनी आवाज़ की अलग ही खनक है। इस शोर मचाती दुनिया के बीच अपनी आवाज़ की अलग ही खनक है।
गम में भी चेहरा तो देखो जरा, किस तरह हंसी में सलामत है। गम में भी चेहरा तो देखो जरा, किस तरह हंसी में सलामत है।
अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे। अपनी ढाल मैं खुद हूँ, आत्मनिर्भर बनने दो मुझे।